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ये कहानी है एक लड़की की जो देख नहीं सकती थी “अंधी थी” और इस बात को लेकर वो बहुत परेशान रहती थी, खुद से बहुत घृणा करती, कभी किसी से बात नहीं करती बल्कि अकेले किसी कोने में पड़ी रहती थी |
वो अगर किसी से प्यार करती थी या उसके साथ खुश रहती थी तो वो था उसका बॉयफ्रेंड जिसको वो सबसे ज्यादा प्यार करती थी, जब भी वो दोनों साथ होते, बहुत खुश रहते थे, लेकिन लड़की की एक जिद थी कि जब तक उसकी आँखें वापस नहीं आ जाती तब तक वो उस लड़के से शादी नहीं करेगी |
अगले दिन किसी ने अपने दोनों आँखे उस लड़की के लिए दान कर दी, और ऑपरेशन के बाद लड़की अच्छे से देखने लगी और अब वो सब कुछ देख सकती थी |
जब उसकी आँखें वापस आ गयी तो उसे पता चला कि उसका बॉयफ्रेंड भी अँधा था तब उसने उस लड़के से शादी करने से इंकार कर दिया |
लड़का मायूस होकर वहां से चला गया और उसके लिए एक चिट्ठी छोड़ गया जिसमे लिखा था – Dear मेरी आँखों का और अपना ख्याल रखना, अब मैं कभी भी तुम्हारी जिंदगी में लौट कर वापस नहीं आऊंगा |
ये जानकार कि उसकी आँखें उस लड़के ने दी थी वो बहुत दुखी हुए और उसका पछतावा ख़तम नहीं हुआ |
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की परिस्थितियों के साथ-साथ हमारा मन भी बदल जाता है जो चीजों को वैसे नहीं देख पता जैसा की पहले | इसलिए इस कहानी से एक चीज तो आप जरूर लेकर जाएँ, कि आप चाहे कितनी भी ऊंचाई पर क्यों न पहुँच जाए लेकिन ये कभी न भूले कि आप कौन है, कौन थे, किस-किस ने आपके success के लिए अपनी कुर्बानी दी है |
Story by – swati rao