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देहरादून ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में बीटेक की पढ़ाई कर रहे दोस्त हर्ष के कमरे पर सुबह सो ही रहा था तो प्रद्युम्न (pradhuman) ने उठाते हुए बोला भाई उठ जा चाय बनाया हूं। चाय पिएगा तो ठंड दूर हो जायेगी, चाय पीने के बाद नहा के तैयार हुआ कार की सर्विसिंग करवानी थी। मैं हर्ष गाड़ी लेके गए प्रद्युम्न को किसी दोस्त के साथ जाना था वो चला गया।

हम कार लेके गए और पता चला कार में काम ज्यादा है तो दो दिन लग जायेंगे क्योंकि और भी हमसे पहले की गाड़ियों का काम बाकी था।

हम शाम तक गाड़ी हैंडओवर करके वापस आए काफी थक चुके थे, हर्ष ने प्रद्युम्न को कॉल किया …

(Pradhumn) प्रद्युम्न – हेलो भाई

हर्ष – कहां हैं भाई

प्रद्युम्न – के साथ

हर्ष – मैं और ऋषभ गाड़ी जमा करवा के आ गए हैं , जल्दी आजा फिर चलेंगे चाय पीने चाय सुट्टा बार।

CSB मेरे लिए नया नया था ।

प्रद्युम्न – ओके भाई आता हूं।

सब लोग बात चीत करके थोड़ी देर बाद निकले CSB के लिए । वहां पहुंचा तो चारो तरफ बिना देखे बैठा और ऑर्डर देने जाने लगा तो अचानक एक लडकी के साथ बैठी आरूषी पर नजर पड़ी और उन्होंने भी मेरे तरफ देखा, कुछ समय के लिए मेरी नजर झुकी ही नहीं, मैं वहां एकदम खो सा गया था । जब तक CSB में था उस दौरान पूरा ध्यान और नजर आरूषी से हट ही नहीं रही थी। उनको लगा मै उसे घूर मतलब ताड़ रहा हूं, लेकिन कैसे बताता कि इसको प्रेम के शब्दों में ताड़ना नहीं बोलते।

चाय खत्म हो गई मैंने जानबूझ कर दूसरा ऑर्डर दिया वह भी खत्म होने लगा उसके बाद आरुसी अपने पीजी की तरफ निकल गई।

मैंने सोचा जाके रास्ते में बात करूं लेकीन कुछ सोच के रुक गया। कमरे पर आते ही दोस्त को बताया उन्होंने सलाह दिया कि एक पेज है जहां आप अपनी पसंद की बात कह सकते हैं। मुझे याद है उस पेज का नाम geu confession था

मेने ठीक वही किया….

एक लंबा चौड़ा अपने मन की बात लिखी और confession वाले को भेज दिया।

उन्होंने मेरी लिखी स्टोरी को अपने पेज़ पर जगह दिया (उनका बहुत आभार)

मेरी स्टोरी पर कोई कॉमेंट नही आया ना कोई रिएक्शन। ठंड का समय था मैं फर्श पर बिस्तर लगाए लेटे हुए बार बार अपना पोस्ट देखता लेकिन हर बार निराश हो जाता क्योंकि कोई रिएक्शन नहीं आया हुआ था।

अगले दिन फिर सब नॉर्मल दिन की तरह शुरुआत हुई समय कटता गया शाम हुई। कह सकते हैं जिसका मुझे इंतजार था।

फिर मैं उठा , हर्ष,प्रद्युम्न ऋषभ (नोनू) को बुलाया और CSB के लिए निकला इसी उम्मीद के साथ की क्या पाता मोहतरमा आज फिर दिख जाएं।

और हुआ भी कुछ ऐसा ही समय करीब 8 :15 बजे मैं वहां पहुंचा तो नज़र गई आरूषी वहीं अपने दो दोस्तों के साथ बैठी हुई थी।
अब जाहिर सी बात है किसी लड़के के साथ बैठी थीं मेरा सोचना जायज़ था मैं दोस्तों को बोला भाई यहां से निकलो उन्होंने बोला क्या हुआ लेकिन मैंने कुछ बताया नहीं।

उन्हें बाद में पता चल गया की लडकी वही है जिसे मैंने कल भी देखा था।
दोस्तों ने जिद पकड़ लिया की अब तो यहीं बैठेंगे।
हम वहीं बैठ गए मैं फिर से ना चाहते हुए बार बार उसी को देखे जा रहा था। अब इतने में उसकी एक दोस्त और आ गई फिर समय बीता वो जाने लगी मुझे बिल्कुल ठीक नहीं लग रहा था क्योंकि वह जा रही थीं मैं बैठे बैठे सोच रहा था की काश रुकी रहे तो मैं यूंही निहारता रहूं।

यहां दुष्यंत कुमार साहब की लाइन का जिक्र करना बेहद जरूरी लग रहा है इसलिए मैं इसे आप सभी पाठकों के लिए यहां चस्पा कर रहा हूं।

“तुमको निहारता हूँ सुबह से ऋतम्बरा
अब शाम हो रही है मगर मन नहीं भरा “

वो लड़की चली गई फिर हम सब दोस्त भी हर्ष के फ्लैट पर आ गए।

अब मैं उसी खूबसूरत सी मुस्कुराहट के साथ confession लिखने मे व्यस्त था , यह मेरा दूसरा और लास्ट confession था।

Confession मैंने पेज वाले को भेजा उधर से रिप्लाई आया वाइस नोट – भाई तेरे को हर रोज कोई पसंद आ जाती है क्या, मैं बिना रुके जवाब दिया भइया ये वही है जिसके लिए मैंने इससे पहले कल भी लिखा था। आप प्लीज इसको पोस्ट कर दीजिए उन्होंने 2 मिनट बाद पोस्ट कर दिया ।

इसबार आधे घंटे बाद चेक किया तो देखा लडकी के दोस्तों ने मजाकिया अंदाज में उसे मेरी पोस्ट में मेंशन किया हुआ है।

फिर क्या मैंने बिना देर किए आरूषी को इंस्टाग्राम पर रिक्वेस्ट किया उन्होंने 2 मिनट बाद ही रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया, मैंने बिना देर किए तुरंत ही hello का मैसेज छोड़ दिया उधर से जवाब आया hyy मैंने कहा मैं वही हूं जिसने confession डाला उधर से जवाब आया hmm i know मैने सीधे पूछा क्या आप रिलेशन में हो उधर से जवाब आया hmm मैंने कहा ok ok फिर मैसेज आया मजाक कर रही हूं नहीं हूं। मैंने तुरंत बोला मुझे आप अच्छे लगे दोस्ती करनी है।

उधर से जवाब आया ओह अच्छा। मैने hmm लिखा और कुछ एक दो मैसेज किया जो सीन नहीं हुआ उन्होंने मुझे गलती से अनफॉलो कर दिया मैं बिना कुछ सोचे सो गया।

अगले दिन मेरे मेसेज का जवाब आया फिर मैंने तुरंत पूछा आपने मुझे अनफॉलो क्यों किया उन्होंने दुबारा फॉलो किया ।

फिर हमारी बात चीत हुई उन्होंने पूछा क्या करते हो आप यहां मेरे दोस्तो का कहना था की ये मत बताना की तू यहां नहीं पढ़ता वर्ना तू बहुत दूर का है बात नहीं करेगी लडकी।

मैने दोस्तों की बात नहीं मानी और आरूषी को सब साफ साफ बताया कि मै maas communication कर रहा हूं ।

उन्होंने पूछा ग्राफिक एरा हिल से.? मैंने बोला मैं यहां नहीं पढ़ता मैं नागपुर वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से पत्रकारिता कर रहा हूं। आजकल छुट्टी है तो दोस्त के पास आया था काम से।

उन्होंने बोला अच्छा ये भी ठीक है बात चीत लगातार बढ़ती गई फिर हम रोज बार करने लगे ।

बीच में कुछ दिनों के लिए छुटकू ने मुझे जानबूझ कर इग्नोर करना शुरू किया शायद उनको बहुत से काम रहते हों या मुझे चिढ़ाने में मजा आता हो।

फिर एक दिन मुझे नागपुर जाना यूनिवर्सिटी जाना हुआ मैं गया और हॉस्टल में कुछ अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि यह किसी के साथ भी हो सकता है । जब आप बहुत दिन बाद किसी जगह जाएं अपने परिवार अपने दोस्तों से दूर तब मन नहीं लगता है। मैने ऐसे बात करते करते बताया कि आज मेरा मन नहीं लग रहा है, उन्होंने अपना सामने का फर्ज निभाते हुए पूछा क्यों क्या हुआ .? किसी से लड़ाई हुई मैने कहा नहीं ऐसा कुछ नही है बस नहीं लगता कभी कभी।

हमारी बातचीत बढ़ती गई मैंने पहले की तरह मजाक में बोला नंबर के लिऐ कौन इतना परेशान करता है भला उन्होंने जवाब टाइप किया मैं।
फिर मैंने दुबारा बोला दे दो ना यार उन्होंने डायरेक्ट नंबर टाइप किया और वार्न करते हुए कहा की कॉल नहीं आनी चाहिए।

मैने भी एकदम बिना रुके प्यार भरे शब्दों में बोला प्रोमिस है जब तक आप अलाऊ नहीं करेंगी कभी नहीं जाएगा।

हमारी बातचित अब इंस्टाग्राम से ट्रांसफर होते हुए व्हाट्सएप पर आ गईं एकदिन हुआ क्या मैं वापस आया गांव फिर इन्होंने मैसेज सीन करना बात करना बिलकुल कम कर दिया ।

सबसे मजाकिया बात क्या है मैं आरूषी को एक साथ 10 मैसेज ठेल देता था जो की उनको बिलकुल नहीं पसंद होता था कि मैं एकसाथ इतने मैसेज करूं उनको।

मैने 10 मैसेज ठेलते हुए पूछा यार तुम बात क्यों नहीं करती न रिप्लाई न कोई सीन उन्होंने चिढ़ते हुए बोला क्या मैं सारा दिन तुमसे ही बात करती रहूंगी क्या मैने दुखी होके कहा नहीं ऐसा नहीं है।
लेकिन वह किसी बात से परेशान थीं इसलिए ऐसा बोली थीं।

अब हम बहुत अच्छे दोस्त हैं । यह कहानी अभी यहीं तक है, उम्मीद है कि इस कहानी का विस्तार जल्द ही आपको किताब के रूप में देखने को मिलेगा उसमे काफ़ी सुधार के साथ बातचीत होगी।

धन्यवाद।

लेखक – ऋषभ उपाध्याय, नोएडा स्थित गलगोटिया यूनीवर्सिटी में पत्रकारिता का विधार्थी है।

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