
मोज़्जकिर मोख़्तार
प्रशांत किशोर. जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चर्चित चुनावी रणनीतिकार. कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथी रहे पर अब उन्हीं पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि
कोविड-19 महामारी के दौरान नीतीश सरकार की असंवेदनशीलता ने उन्हें बिहार में सक्रिय राजनीति में उतरने और जन सुराज पार्टी बनाने के लिए प्रेरित किया।
किशोर ने यह भी खारिज किया कि उनकी पार्टी सत्ता की चाहत में बनी है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अब उनका नीतीश कुमार से सीधा सियासी मुकाबला होगा। प्रशांत किशोर ने कहा,
“मैंने 2015 में बिहार में महागठबंधन की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। अगर मैं सत्ता चाहता, तो उस समय कोई भी पद ले सकता था।”
उन्होंने कोविड संकट का जिक्र करते हुए कहा, “जब मैंने देखा कि बिहारी प्रवासियों को अन्य राज्यों से भगाया जा रहा था, उन्हें हजारों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, तब मैंने बिहार की सेवा का फैसला किया।” किशोर ने आगे कहा कि “लोग कहते हैं वे शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर वोट देंगे, लेकिन जाति और धर्म के बहकावे में आ जाते हैं।
”प्रशांत किशोर, जिनकी परामर्श फर्म आई-पैक ने नरेंद्र मोदी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं के चुनावी अभियानों को संभाला, अब बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिखना चाहते हैं। 2021 के बंगाल चुनाव के बाद उन्होंने प्रचार प्रबंधन छोड़कर जन सुराज पार्टी की स्थापना की। उनका मानना है कि बिहार के नेताओं को लगता है कि खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें वोट मिलेंगे, जिसके कारण राज्य का विकास रुका हुआ है।
किशोर की पार्टी अब इस स्थिति को बदलने की कोशिश में है। किशोर ने बिहार की राजनीतिक संस्कृति पर तंज कसते हुए कहा, “बिहार को नुकसान इसलिए हो रहा है, क्योंकि नेताओं को लगता है कि बिना अच्छा काम किए भी वोट मिलेंगे। मुझे उम्मीद है कि जन सुराज बदलाव का उत्प्रेरक बनेगी।
” उन्होंने मतदाताओं से अपील की, “लोग फिल्म चुनने में जितनी सावधानी बरतते हैं, उससे ज्यादा सावधानी नेताओं को वोट देने में बरतनी चाहिए, क्योंकि चुनाव में बहुत कुछ दांव पर होता है।”प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बिहार की सियासत में नया रंग भरने को तैयार है।
कोविड-19 के दौरान बिहार सरकार की कथित नाकामी और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा ने किशोर को राजनीति में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। उनकी पार्टी का लक्ष्य बिहार में विकास, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को केंद्र में लाना है। किशोर की यह सियासी पारी नीतीश कुमार और अन्य दिग्गज नेताओं के लिए चुनौती बन सकती है। आगामी विधानसभा चुनाव में जन सुराज का प्रदर्शन यह तय करेगा कि क्या किशोर की रणनीति और दृष्टिकोण बिहार की जनता को प्रभावित कर पाएंगे।