Nirbhay kumar*

बचपन वो समय होता है जहाँ बच्चों को खेलना, पढ़ना और बड़े होने का सपना देखना चाहिए, लेकिन भारत में लाखों बच्चों का बचपन खेतों, खदानों और कारखानों की दीवारों में सिमट कर रह गया है. बाल श्रम की ये दास्तानें सिर्फ अखबारों की सुर्खियों तक ही सिमटी रहती हैं या फिर सरकारी फाइलों में दफ़न हो जाती हैं. हर साल लाखों मासूमों के हाथों में किताबें थमाने के बजाय हथौड़े पकड़ा दिए जाते हैं।
बाल श्रम की परिभाषा और कानून :
बाल श्रम से तात्पर्य 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के व्यावसायिक काम में लगाने से है. भारत में बाल श्रम की समस्या को रोकने के लिए बाल श्रम (निषेध और विविध प्रावधान) अधिनियम 1986 बनाया गया है. इस अधिनियम के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के खतरनाक काम में लगाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. 14 से 18 साल के बच्चों को भी केवल गैर-खतरनाक कामों में ही लगाया जा सकता है. हालाँकि ये कानून कागजों पर ही अच्छे दिखते हैं, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. बाल श्रम के कारण और प्रभाव बाल श्रम के पीछे कई सारे कारण हैं जिनमें गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक असमानता और माता-पिता की लाचारी जैसे प्रमुख कारण शामिल हैं. गरीबी के कारण माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय मजदूरी करवाने के लिए भेज देते हैं. अशिक्षित होने के कारण उन्हें ये भी नहीं पता होता है कि बाल श्रम करवाना कानूनन जुर्म है. सामाजिक असमानता के कारण गरीब तबके के बच्चों को ही बाल मजदूरी करनी पड़ती है. वहीं, माता-पिता की लाचारी उन्हें अपने बच्चों को कम उम्र में ही काम करने के लिए भेजने पर मजबूर कर देती है. बाल श्रम के प्रभाव विनाशकारी होते हैं. शारीरिक रूप से बच्चों को खतरनाक कामों से अंग-भंग का खतरा रहता है, उनके शरीर का सही विकास नहीं होता है. मानसिक रूप से वे तनाव, भय और हताशा का शिकार बनते हैं. पढ़ाई का मौका नहीं मिलने से उनका बौद्धिक विकास रुक जाता है, जिससे वे अपने भविष्य को स्वरूप नहीं दे पाते. सामाजिक रूप से भी वे बहिष्कृत हो जाते हैं.

बाल श्रम रोकने के उपाय:
बाल श्रम की इस समस्या को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है. सबसे पहले समाज की चेतना जगाना जरूरी है. लोगों को ये समझना होगा कि बाल श्रम सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि हमारे देश के भविष्य को बर्बाद करने के समान है. शिक्षा पर बल देकर गरीबी कम करना और बच्चों के माता-पिता को वैकल्पिक आय के साधन उपलब्ध कराना जरूरी है. सरकार को सख्त कानून बनाने और उन्हें सख्ती से लागू करना होगा. बच्चों को स्कूल तक पहुँचाने के लिए सरकारी योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाना होगा. बाल श्रम की सूचना देने के लिए आसान और सुलभ तंत्र बनाने की जरूरत है. हम सभी अपनी जिम्मेदारी समझें. बाज़ार से सामान खरीदते समय ध्यान दें कि वह किसी बाल मजदूर के श्रम का फल न हो. किसी बच्चे को काम करते देखकर चुप न रहें, संबंधित विभाग को सूचना दें. अपने आस-पास के लोगों को बाल श्रम की बुराइयों के बारे में बताएँ ।

tag line – चलो चले अंधकार से प्रकाश की ओर शिक्षा के अधिकार की ओर।
*Student of bjmc, 3rd sem