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निहारिका बिस्ट
बीएजेएमसी-सेमिटर प्रथम
गलगोटिया विश्वविद्यालय

दानकौर में स्थित पशुचिकित्सालय का बुरा हाल सामने आया है। यह पशुचिकित्सालय बहुत सालों पहले शुरू हुआ था और उस समय यहां की स्थिति बहुत अच्छी थी, परंतु समय के साथ साथ स्थिति में सुस्ती आ गई है। जब यह पशुचिकित्सालय शुरू हुआ था, तब यहां की सुविधाएं उच्च गुणवत्ता वाली थीं और लोग इसे विश्वसनीयता के साथ जानते थे। परंतु अब यहां की स्थिति उचित नहीं है, और यहां के पशुपालकों को बड़ी मुश्किलें आ रही हैं।
सबसे पहले, इस पशुचिकित्सालय में सफ़ाई की कमी हो रही है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस तरह के स्थानों पर नियमित साफ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाए ताकि वहां के मरीजों और पशुपालकों को स्वस्थता के लिए सुरक्षित रहे। सफाई की कमी के कारण होने वाली संक्रमणों का खतरा हो सकता है जो अनिवार्य रूप से बढ़ सकता है और इससे और बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
दूसरी ओर, इस पशुचिकित्सालय में सीनियर डॉक्टर अक्षय कुमार की अनुपस्थिति भी एक समस्या है। एक पशुपालक जब अपने पशु को लेकर यहां जाता है, तो डॉक्टर की अभाव में उसका सही से इलाज नहीं हो पा रहा है। यह असुविधा पशुपालकों को बहुत ही परेशान कर रही है और इससे उनके पशुओं को सही देखभाल नहीं मिल पा रही है।
इस पशुचिकित्सालय की तीसरी समस्या यह है कि यहां की डॉक्टरों की संख्या भी अनुपयुक्त है। रोज़ यहां 8-10 मरीज आते हैं, लेकिन सिर्फ़ 3 डॉक्टरों के सामरिक दबाव के चलते उन्हें सभी मरीजों का सही से इलाज नहीं मिल पा रहा है। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है क्योंकि एक सही और विश्वसनीय चिकित्सा प्रक्रिया के लिए अधिक संख्या में डॉक्टरों की आवश्यकता होती है। देखा गया है कि यहां के पशुपालकों को बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अपने पशुओं के इलाज के लिए उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं

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