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अनुक्ता
बीएजेएमसी-सेमेस्टर प्रथम
गलगोटिया विश्वविद्यालय

महाभारत काल का जीवंत इतिहास वर्तमान समय में भी मौजूद है। जनपद गौतमबुद्ध नगर की तहसील सदर के अंतर्गत दनकौर में स्थित है श्री गुरू द्रोणाचार्य मंदिर। अपने आप में चमत्कारिक इतिहास रखने वाला यह मंदिर करीब 500 वर्ष पुराना है। दनकौर का द्वापर युग से ही पुराणाों और धार्मिक ग्रंथों में विषेष महत्व है। यह क्षेत्र इंदप्रस्थ के अति समीप यमुना के किनारे वाले सघन वन क्षेत्र रहा है। सदियों से बसी यह द्रोणा नगरी को पहले द्रोणकौर नाम से जाना जाता था। यहां के लोगों का कहना है कि इस नगरी का संबंध द्वापर युग में जन्में कौरव, पांडव, एकलव्य व गुरू द्रोणाचार्य से है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना निषादराज हिरण्यधनु के पुत्र एकलव्य ने की थी। मंदिर परिसर में सभी देवी-देवताओं की मूतियां स्थापित हैं। एकलव्य द्वारा स्थापित श्री द्रोणाचार्य मंदिर में आकर श्रद्धालुगण सच्चे मन से जो भी मांगते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। सावन में जलभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की बड़ी भी उमड़ती है और विषेष आरती, भजन,कीर्तन और प्रसाद भंडारे का आयोजन किया जाता है।

मुंदिर के बाहर प्रागंण में एक प्रचीन तालाब भी है। जिसे द्रोणाचार्य तालाब भी कहा जाता है। स्थानीय लोगों से बात करने पर पता चला कि एक ऋषि इस तलाब में से अपने कमंडल में जल भर रहे थे तभी उनका कमंडल तलाब में डूब गया। तब उन्होंने श्राप दिया कि यह तलाब जल विहीन रहेगा। लोगों की धारणा है कि इस तलाब में कितना भी जल क्यों न भरा जाए परंतु मात्र एक से दो दिन में वह सब सूख जाता है।

मंदिर के पुजारी से बातचीत के दौरान ज्ञात हुआ कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्धाटन के अवसर पर श्री द्रोणाचार्य मंदिर में यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। आप सभी इस शुभ अवसर पर यज्ञ में भाग लेकर इस यादगार दिन का अहम हिस्सा बनें।

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