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Arshita Singh*

निर्मला’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है। जिसका प्रकाशन सन् 1927 में हुआ था। प्रेमचंद जी द्वारा यह उपन्यास दहेज़ प्रथा और अनमेल विवाह को आधार बनाकर लिखा गया है। इस उपन्यास की मुख्य पात्र ‘निर्मला’ नाम की एक 15 साल पहले की सुन्दर और सुशील लड़की है। निर्मला की शादी से पहले ही किसी कारणवश उसके पिता की मृत्यु हो जाती है, जिससे उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। दहेज देने की क्षमता न होने के कारण निर्मला का विवाह एक अधेड़ पुरुष के साथ कर दिया जाता है जिसके पहले से 3 लड़के थे और उनकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी होती है। निर्मला चरित्र की पवित्र होने के बावजूद भी उसे समाज और अपने पति की ग़लत नजरों का शिकार होना पड़ता है। इससे उन्हें समाज में अनादर का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार निर्मला विभिन्न परिस्थितियों को सहती हुई अंत में मृत्यु को प्राप्त होती है।

निर्मला उपन्यास में मुंशी प्रेमचंद ने दहेज़ प्रथा और अनमेल विवाह का मार्मिक चित्रण किया है। इस उपन्यास में बिना सहमती के विवाह और दहेज़ के कारण होने वाले दुष्प्रभावों का सटीकता से वर्णन किया गया है। साथ ही एक नारी की सहिष्णुता का भी बखूबी वर्णन किया गया है। एक नारी ही है जो तमाम बुराईयों और विपरीत परिस्थितियों का बखूबी सामना कर सकती है। अगर हम आज के भारतीय समाज की बात करें तो की निर्मला ऐसी मिल जाएगी जिन्हें समाज में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। की महिलाये अनमेल विवाह और दहेज़ के कारण मौत का शिकार हो जाती है। निर्मला उपन्यास के मुख्य पात्र-

निर्मला — मुंशी जी (तोताराम) की पत्नी

मंसाराम – मुंशी जी का बड़ा बेटा

जीयाराम, सियाराम – मुंशी जी के छोटे बेटे

रूक्मणि — मुंशी जी की विधवा बहन

कृष्णा—– निर्मला की बहन

प्रेमचंद जी ने निर्मला उपन्यास की भाषा को काफी सरल और समझने योग्य बनाया है। इस उपन्यास में निर्मला को मुख्य पात्र बनाया गया है। यह उपन्यास महिलाओं के संघर्ष और सहिष्णुता को दिखाता है। कैसे एक महिला चरित्रवान होते हुए भी उसे समाज की गलत निगाहों का सामना करना पड़ता है, इसके बावजूद भी वह हिम्मत नहीं हारी है और परेशानियों का डटकर सामना करती है। एक दिन ऐसा आता है जब वह हालातो का सामना करते-करते इस दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह जाती है। प्रेमचंद जी की यह उपन्यास एक नारी की सहिष्णुता को दिखाता है। अगर आप नारी की सहिष्णुता और सहनशीलता को जानना और समझना चाहते है तो निर्मला उपन्यास को एक बार अवश्य पढ़ें।

*Student (B. A. Journalism & Mass Communication)

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