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संस्कृति के चार अध्याय “रामधारी सिंह दिनकर” द्वारा लिखी गई है। इस पुस्तक मे कुल चार अध्याय हैं जिसमे भारत की संस्कृतियों के बारे मे दिनकर जी ने बखूबी बताया है। यह किताब सन 1956 मे प्रकाशित हुई थी तथा इसकी भूमिका भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी है जो की दिनकर जी के बहुत अच्छे दोस्त थे।

इस लेखन के जरिये दिनकर जी ने भारत की विविध संस्कृतियों को परिभाषित करने का प्रयास किया है तथा ये भी बताया है की किस प्रकार से उनका जन्म हुआ।दिनकर जी ने ये भी बताना चाहा है की समय के साथ हमारे इतिहास में कितना पारिवर्तन आया है।

इस पुस्तक में दिनकर जी ने भारत की चार बड़ी क्रांतियों के बारे में बताया है। पहली क्रांति उनके हिसाब से तब हुई थी जब आर्यों का आगमन हुआ था जो की आगे चल कर भारतीय सामाज की बुनियाद बना । वह दूसरी क्रांति तब मानते हैं जब सनातन  धर्म में अलग-अलग अनेक धर्मों का परिचय हुआ जैस बुद्ध धर्म, जैन धर्म, जिसमे जन्म और मृत्यु के सत्य को अलग प्रकार से परिभाषित किया। तीसरी क्रांति वाह तब मानते हैं जब इस्लाम का हिंदुस्तान में आगमन हुआ और हिंदुत्व के संपर्क में आकर नये धर्म की उत्पत्ति हुई। चौथी क्रांति वे तब मानते हैं जब यूरोप का भारत में आगमन हुआ जिसमे अंग्रेज़ों का आगमन उनका शासन और भारतीयों का उनके खिलाफ आंदोलन। इस पुस्तक मे इन्ही चार क्रांतियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

अगर हम बात करें इस पुस्तक के चार अध्यायों की तो वे बखूबी भारत का इतिहास बया करती हैं । इसके पहले अध्याय में भारतीय समाज की रचना कैसे हुई उसके बारे मे बताया गया है की किस प्रकार आर्य और आर्येतर जातीयाँ भारतीय समाज की बुनियाद बानी और इसमें  आर्य द्रविड़ सम्बन्ध के बारे में भी बताया है। इस अध्याय मे वैष्णव धर्म, रामकाथा, कृष्णा तथा ऋग्वेद से जुड़ी बातों का विस्तार में वर्णन किया है। इसके दूसरे अध्याय मे बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म के सिद्धांतो का विद्रोह सनातन धर्म के खिलाफ बताया है तथा इसी अध्याय में उपनिषदो , गीता, पुराणों तथा योग आदी के बारे में बताया गया है।

इसके तीसरे अध्याय में हिन्दू मुस्लमान के संबंधों के बारे में बताया है की किस प्रकार मुस्लिमों का आक्रमण हुआ और हिंदुस्तान समाज पर उसका प्रभाव कैसा पड़ा। इस अध्याय मे भक्ति आंदोलन तथा सिख धर्म के बारे मे भी बताया गया है और उर्दू भाषा के जन्म के बारे मे भी बताया गया है। इसका अंतिम अध्याय अंग्रेज़ों के आगमन तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के बारे में है की किस प्रकार अंग्रेज़ों ने व्यापार के माध्यम से हमारे ऊपर अपना शासन स्थापित किया।

दिनकर जी ने अपनी इस पुस्तक के माध्यम से भारत की विभिन्न संस्कृतियों के बारे में बताया है और अलग-अलग होकर भी वाह किस प्रकार एकता को दर्शाते हैं उससे भी बखूबी समझने का प्रयास किया है। अगर हम बात करें हिन्दू मुसलमान की जो आज के समय में दो अलग लोग हैं अलग धर्म के है परन्तु फिर भी इस भारत में एकता के सूचक है जो अलग होकर भी एक हैं।

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