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सीनियर एडिटर विकास कुमार के साथ खास बातचीत  इंटरव्यू:

प्रश्न 1.आपने अपनी शिक्षा कहां से पूरी की और पत्रकारिता जगत में आने का विचार कहां से उत्पन्न हुआ.

उत्तर:- 12वीं तक की शिक्षा में बिहार से किया और ग्रेजुएशन मैंने दिल्ली के एक पत्रकारिता संस्थान से किया और 10 साल मीडिया में  काम करने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मुझे मास्टर भी करना चाहिए तो मैं अभी मास्टर कर रहा हूं. जब मैं 11वीं कक्षा में था तो स्कूल में एक लेख लिखने को कहा गया था. उस समय मेरी लेखनी पर टिप्पणी करते हुए एक  शिक्षिका ने कहा था कि तुम्हें तो पत्रकार बनना चाहिए. उस समय मुझे पत्रकारिता क्या होता है, यह भी मालूम नहीं था और मैं गांव से था तो उनके हां में हां मिलाता  चला गया। गांव के लड़के में एक प्रवृत्ति होती है कि वह सवाल कम पूछते हैं। शहर का लड़का होता तो पूछ लेता  कि मैं पत्रकारिता क्या होता है और उस समय गांव में तो उतना संसाधन भी नहीं हुआ करता था कि गूगल पर जाकर सर्च करें कि पत्रकारिता क्या होता है.उन दिनों बीबीसी रेडियो का काफी प्रचलन था. मैं बीबीसी रेडियो खूब सुना करता था.मुझे लगता था कि पत्रकार बड़ी शक्तिशाली लोग होते हैं,एक आम आदमी विधायक से सवाल नहीं कर पाता है तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से सवाल करना तो दूर की बात है, लेकिन एक पत्रकार जो सभी से सवाल करते हैं।मेरी एक परिवार के सदस्य देवघर से आए हुए थे, मेरी उनसे दोस्ताना जैसा रिस्ता था हालांकि वो मुझसे उम्र में काफी बड़े  थे. उनसे  पूछा तो  उन्होंने कहा कि बीबीसी सुनते हो, मेरा जवाब था कि हां.उन्होंने कहा कि वही पत्रकारिता है. उस मुझे इतनी खुशी हुई जो शब्दों में बयां नहीं कर सकता. मुझे लगा कि जिस चीज में मैं इतना लगाव रखता हूं वही चीज पत्रिकारिता  है,बस उसी वक़्त पत्रकारिता करने की ठान लिया था.

प्रश्न 2. आपने आजतक और दैनिक भास्कर के सात काम किया है और अभी The Lallantop के साथ काम कर रहे हैं. वर्तमान समय में देखा जाए तो मीडिया के तीनों प्रारूपों में येलो पत्रकारिता और फेक न्यूज़ का प्रचलन कॉफी तेज़ी से फैल रहा है. इसको आप किस नजरिए से देखते हैं.

उत्तर:- आज पत्रकार इस तरह की पत्रकारिता से जूझ रहे हैं और आने वाले पत्रकारों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.जब मैं तहलका मैगजीन में था तो उस समय मुझे लगता था कि जब डिजिटल मीडिया आएगा तो ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए ज्यादा मौका मिलेगा क्योंकि मैगजीन में जगह की समस्या बनी रहती थी. अगर आपके स्टोरी अच्छा है,और आप से बेहतर स्टोरी किसी और पत्रकार ने दे दिया तो वहां उनकी ख़बर जाएगी. यह समस्या डिजिटल मीडिया में नहीं है. आज भी कई चैनल पर ग्राउंड रिपोर्टिंग हो रही है और कई चैनल पर तो ट्रेंडिंग विषय और येलो जर्नलिज्म पर मामला घूम जाता है. कई बार जो अच्छी चीजें होती हैं, उसका व्यूज भी  बहुत कम होते हैं,यह  सच्चाई है हमारे देश की। इसके लिए हम संपादक को दोषी ठहरा सकते हैं.वर्तमान समय की पत्रकारिता आजादी के वक्त वाली पत्रकारिता नहीं रह गया है कि उसको हम निस्वार्थ भाव से करें। इसमें पैसा भी शामिल होता है.हर पेशा की अपनी इमानदारी होता है और वह इमानदारी होनी चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य है कि मीडिया में यह चीजें नहीं है। यहां वैसे संपादक को गलत नहीं ठहराया जाता है जो गलत कार्य करवाते हैं जो फेंक सूचना को आगे प्रसारित करते हैं. फेक न्यूज़ मीडिया और चैनल में बैठे लोग फैलाते हैं और उनमें एक सनसनी उत्पन्न करते हैं। मीडिया को नियंत्रित करने के लिए बॉडी तो है लेकिन वह हाथी के दांत जैसा है.यह समाज के लिए तो बड़ा मुद्दा है लेकिन संपादक के लिए यह मुद्दा नहीं है.

प्रश्न 3. हमारे देश की मीडिया जन-सरोकारों के मुद्दे को नज़रअंदाज़ कर राजनीतिक ख़बरों को अधिक प्राथमिकता देती है. प्राईम टाईम में भी राजनीतिक ख़बरों का विश्लेषण किया जाता है. इस पर आपका क्या कहना है.

उत्तर:- राजनीतिक मुद्दों को इसलिए महत्व दिया  जाता है कि वह हमारे जीवन पद्धति,जीवन जीने के तरीके से लेकर खानपान तक को नियंत्रित करती है। इंसान के जीवन में राजनीति और राजनीति के बाद बनने वाली सरकारें आम जीवन को तय करती है।मुझे लगता है कि आज की तारीख में राजनीति उस तरीके से चर्चा नहीं हो रही है,जिस तरीके से होनी चाहिए थी, मुझे लगता है कि और अच्छे से होनी चाहिए.राजनीति का मतलब यह  नहीं है कि 4 लोगों को पैनल में बैठाकर डिबेट हो। वह राजनीति की आड़ में येलो जर्नलिज्म है. राजनीति पर जो सार्थक चर्चा होनी चाहिए, सरकार के जो मुद्दे हैं उन पर सवाल होना चाहिए। वह नहीं हो रहा है. मीडिया का हिस्सा मनोरंजन,जानकारी ,स्पोर्ट्स है, लेकिन मुख्य तौर पर राजनीति ही तो होता है।एक स्पेश जो है सरकार की आलोचना के लिए उसका इस्तेमाल भी पत्रकार नहीं करना चाहते क्योंकि यह अपनी उनकी आईडियोलॉजी होते हैं कोई राइट को चाहता है तो कोई लेफ्ट को चाहता है। अगर आप सरकार की आलोचना करते हैं तो आपको तथ्य ढूंढना पड़ेगा, स्टोरी लानी पड़ेगी। ऐसा तो नहीं है कि आप  ऐसे ही बिना तथ्यों के आलोचना करेंगे,आपको आंकड़े जुटाने पड़ेंगे।पत्रकार वो मेहनत नहीं करना चाहते हैं.मालिकों का दबाव तो है ही, लेकिन यह वजह मुझे ज्यादा नहीं लगती.

प्रश्न 4. आपने अबतक कई राजनेताओं के इंटरव्यू लिए होंगे, कभी ऐसा हुआ है कि कठिन प्रश्न पुछने पर धमकियां मिला हो.

उत्तर:- मैं उतना ज्यादा राजनेताओं के इंटरव्यू तो नहीं लिए हैं जितने लल्लन टॉप के राजनीतिक रिपोर्टर लिए हैं। लेकिन जिन जिन शख्सियत के लिए हैं उनसे आज तक कभी भी धमकियां नहीं मिले चाहे वह ऑनस्क्रीन हो या ऑफ स्क्रीन! जब मैं अनंत सिंह का इंटरव्यू लेने जा रहा था तो बहुत लोग कह रहे थे कि बचके जाइएगा.मैं वहां गया और आम आदमी की तरह जो सवाल होते हैं, वह मैंने किया.वहां कोई दिक्कत नहीं हुई। मैं इस बात को नजरअंदाज नहीं कर रहा हूं कि ऐसा नहीं होता है जैसे अभी उत्तर प्रदेश में बीबीसी के एक पत्रकार के साथ हुआ.

प्रश्न 5. आपका अनंत सिंह का इंटरव्यू विडियो और अभी कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल में चुनाव कवरेज के दौरान टी लेडी का विडियो काफी वायरल हुआ.आपके पत्रकारिता जीवन की कोई अनुभव जिसे ऑफिस या पत्रकार बंधुओं के बीच सराहा गया हो.

उत्तर:-   यह समय समय पर होते रहता है और यह कोई बड़ी बात नहीं है.एक बात हम सभी को याद रखनी चाहिए कि जो हमारे बड़े सीनियर संपादक हैं, मैं उनका बड़ा सम्मान करता हूं। उन्होंने एक बात मुझे कही थी और मैं उस बात को हमेशा जेहन में याद रखता हूं  कि जब भी कोई वीडियो वायरल होता है जब कहानी पर लोग आपकी तारीफ करते हैं तो उन्होंने कहा था कि कोई पत्रकार बड़ा नहीं होता है,कहानियां बड़ी होती है.अनंत सिंह का इंटरव्यू वायरल हुआ। उस में मेरा योगदान बस इतना ही था कि मैं एक पत्रकार के तौर पर वहां पहुंचा और उनसे सवाल किया।अनंत सिंह के जवाब की वजह से वह वीडियो वायरल है. उसी तरीके से जो दार्जिलिंग वाली कहानी है उस में मेरा योगदान यह है कि जहां लोग दार्जिलिंग शहर में चुनाव कवरेज कर रहे थे, मैंने बस यह निर्णय लिया कि मुझे दार्जिलिंग के गांव में जाकर कवरेज करना है.वह महिला जो बोल रही है वह उनकी जवाब और खूबसूरती के वजह से वायरल है. इसी तरह मेरी कभी भी कहानियां को सराहना मिलती है और मैं उस कहानियों से जुड़ पाया,इस वजह से मुझे भी तारीफ मिल जाती है एक पत्रकार के तौर पर हमें इस फिराक में रहना चाहिए कि हम एक ऐसी कहानियां लेकर आएं जो आम लोगों की हो.मेरा मानना है कि पक्की सड़क की कहानियां से दूर कच्ची सड़क पर जाकर करें तो वह पत्रकार के तौर पर मेरा कद और बढ़ा देती है.

प्रश्न 6. पत्रकारिता कर रहे छात्रों को आप क्या सलाह देंगे?

उत्तर:- मेरा मानना है कि पत्रकारिता के छात्र के तौर पर आपको टेक्नोलॉजी की समझ तो होना आवश्यक है. अगर आपको पत्रकारिता के क्षेत्र में नौकरी करनी है तो आप यह नहीं कह सकते हैं कि मुझे केवल लिखना या बोलना आता है.आपको फोटोग्राफी,वीडियोग्राफी भी आना चाहिए और लिखना तो सबसे प्रथम आनी चाहिए.आप केवल फोटो खींच लेते हैं और लिख नहीं पाते हैं तो गड़बड़ हो जाएगी. आज के समय में एक हिंदी पत्रकार के तौर पर चुनौती  और बढ़ जाती है। अंग्रेजी ठीक करना वर्तमान समय में बिल्कुल  जरूरी है क्योंकि हिंदी में ढंग से रिसर्च वर्क बहुत कम मिलता है।अगर आप केवल नौकरी पाने के लिए पत्रकारिता करना चाहते हैं तो सही है लेकिन अच्छा पत्रकार बनना चाहते हैं तो किताबें पढ़ना चाहिए.साहित्य, क़िस्से, कहानियां जितनी ज्यादा पढ़ सके आप पढ़ें। आज के समय में चुनौती  यह भी है कि इतिहास के साथ खेल हो रहा है। एक पत्रकार होने के नाते आपको इतिहास पढ़ना चाहिए.पत्रकारिता कर रहे छात्रों को तो ये सब मालूम होना चाहिए। देश दुनिया में क्या नया हो रहा है, उनकी जानकारी भी हमेशा लेते रहना चाहिए। आदमी जो सिर्फ लिखना जानता है, वह नौकरी में पिछड़ रहे हैं और एक आदमी जो लिखने के साथ-साथ टेक्नॉलॉजी भी जानता है, उनको ज्यादा मौके मिल रहे हैं. बहुत लोग यह कहते हैं कि अगर आप इस क्षेत्र में किसी को नहीं जानते तो नौकरी नहीं मिलेगी तो इस वजह से छात्र सोशल मीडिया पर उलझ रहे हैं,पत्रकारों को नमस्कार कर रहे हैं ताकि उनसे जान-पहचान हो जाए। पहली नौकरी पाने के लिए आपको संघर्ष करना पड़ेगा, अगर आप में हुनर है तो पहली नौकरी के बाद दूसरी नौकरी पाने के लिए आपको संघर्ष नहीं करना पड़ेगा.यह भय अपने अंदर से निकालना पड़ेगा कि आपको नौकरी नहीं मिलेगी. सभी छात्रों को टेक्नॉलॉजी को समझना चाहिए और खूब पढ़ना चाहिए ताकि वह बेहतर पत्रकार होकर निकल सकें.

(पत्रकार के बारे में:-विकाश कुमार पत्रकारिता जगत मे जाना पहचाना नाम है इन्होंने देश के बड़े-बड़े मीडिया संस्थाओं में काम किया है शुरुआत इन्होंने तहलका मैग्जीन से किया  और वर्तमान समय में the brut के लिए काम कर रहे हैं. पिछले एक दशक से वह भारतीय पत्रकारिता जगत को अपनी सेवा प्रदान कर रहे है. इन 10 सालों में इन्होंने दैनिक भास्कर,दी lallantop,आज तक जैसे मीडिया संस्थाओं के लिए काम कर चुके हैं.)

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