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एक बार एक गांव में एक छोटां परिवार रहा करता था । उस परिवार में तीन बच्चे और उनके माता पिता रहा करते थे उस परिवार के सबसे बड़े बेटे का नाम अनिल था l वह बहुत समझदार और जिम्मेदारियों को समझने वाला व्यक्ति था। दूसरे बेटे का नाम सागर था । वह बड़े भाई से प्रेरित हो कर अपने जिम्मेदारियों को समझता और अपनी पढ़ाई पूरा किया करता था । सबसे छोटे भाई का नाम धर्मेंद्र था । वह अपने परिवार का सबसे छोटा सदस्य था उसका मन पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता था । वह अपना अधिक समय खेलने में बिताया करता था। उनके पिता बहुत छोटा मोटा व्यापार किया करते थे। वह कभी कपड़े बेचते या फिर कभी फल या सब्जियाँ बेच कर अपने परिवार का जीविका चलाया करते थे। उनकी मां बहुत सरल और साफ हृदय वाले व्यक्तिव की थी। उनके परिवार में अच्छी अर्थव्यवस्था नहीं चल रही थी जिसके कारण उन्हें काफी दिकतो का सामना करना पढ़ता था। उनके घर पैसों की कमी के कारण अनाज की कमी हुआ करती थी। उनकी माँ रात के समय जब खाना बनाती थी और पुरे परिवार को खीला देती थी। मगर आखिर में जब अनहें खाना होता था तब सारा भोजन खतम हो गया होता था तब वह चुप चाप किसी को भी बतायें बिना पानी पीकर भूखे पेट सो जाया करती थी। उनके साथ ही उनके पति को भी काफी दिकतों का सामना करना पढ़ता था। एक बार जब मां ने तिनों बेटों की खाना खीला कर सुला दिया था और अपने पति के घर आने का इंतेजार कर रही थी उनके पति गांव से दुर एक साइकिल पर कपड़े बेचने पास के गांव में जाया करते थे उस दीन काफी तेज बारिश और तूफान था। वह अपने दिनचरियां खतम कर के लोट रहे थे और उनकी पत्नी उनका इंतजार कर रही थी वह उनकी चिंता में परेशान और घबरा गई थी उस समय में वार्तालाप का कोई माध्यम नहीं था , आखिर में वह काफी दिकतों का सामना करते हुए देर रात को धर लोटे तब जाकर उनकी पत्नी को शांति मिलि ऐसे ही कई सारी छोटे छोटी समस्यायों का सामना करना पर रहा था।
अनिल अपने पढ़ाई में बहुत अच्छा था उसे पढ़ना लिखना बहुत पसंद था वह हमेशा अपने आप को पढ़ाई में व्यस्त रखता था । जब वह खाली होता तब वह अपने पिता के व्यापार में उनकी सहायता किया करता था। एक बार अनिल को अपने पढ़ाई के लिए कुछ पैसों की जरूरत थी । वह अपनी पढ़ाई पूरा करके एक इंजीनियर बनना चाहता था मगर पैसों और सहायता न होने के कारण वह उस सपने को पूरा नहीं कर पाया मगर उसने हार नहीं मानी वह गाँव के पास के एक शहर में जाकर सोने को आकार देने का कार्य सीरवा । वहां पर वह सीखने के साथ-साथ दुकान के अन्य छोटे मोटे कार्य भी किया करता था। वहाँ घर न होने के कारण वह पास के एक जगह जहाँ मजदूर काम कर के विश्राम करते थे वहाँ उसे सोकर रात बितानी पढ़‌ती थी। माँ के न होने के कारण वह अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दिया करता था साथ ही पैसों की कमी होने के कारण कभी वह रवाना खात या कभी बिना खाए सो जाया करता था मगर धीरे-धीरें दुख के साथ मेहनत करते और अपने परिवार के स्थिति को बदलने के लिए वह प्रति दिन मेहनत करता था। साथ ही वह धीरे-धीर आगे बढ़ता गया । इसे देख कर उनका भाई सागर भी उनके साथ कार्य सिखने के लिए शहर अपने भाई के पास आ गया वहाँ दोनों मेहनत करते और एक दूसरे का ख्याल रखा करते थे। उनका छोटा भाई धर्मेंद्र उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था वह अधिक समय अपने दोस्तों के साथ वयत्तित करता था मगर अनिल ने अपने बड़े भाई होने का दर्जा नहीं भुला वह अपने छोटे भाई को समझाता और समय-समय पर फटकार भी लगाया करता था मगर समय के साथ वो भी बदलने लगा और अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगा । अनील ने अपने खुद का सोने का कारोबार करने का सोचा मगर यह उतना आसन नहीं था जितना बोलने में लगा परंतु उसने धिरे-धिरे पैसा इखत्ता कर के और साथ ही अपने स्वभाव से उसने अपनी जान पहचान समाज में बनाया जिससे उसने लोगों का भरोसा जिता। उसने अपने रिश्तेदारों से सहायता ली और उसने अपना कारोबार बहुत ही छोटे स्तर पर अपने गाँव में शुरू किया । वह कभी हार नहीं मानता और लगातार मेहनत करता रहता था। लोगों के साथ अच्छे व्यवहार के कारण धीरे-धीरें वह अपने गाँव में अच्छे व्यापारी के नाम से प्रसिद्ध हो गया साथ ही उसके ग्राहक भी बढ़ने लगे और उसके व्यापार में बहुत अधिक लाभ होने लगा जब कभी भी अनील व्यापार के बारे में नए विचार लेने के लिए शहर जाया करता था तब उसका भाई सागर अपने पढ़ाई के साथ-साथ उस व्यापार को भी सँभाला करता था । प्रयास करते-करते उनके व्यापार में बहुत अधिक बढ़ोतरी हो गई साथ ही दुर-दुर के गाँव से भी ग्राहक आने लगे अधिक लाभ और सही तरह से पैसो का इस्तेमाल करके हर महिने में काफी पैसे बचाया करते थे इससे कई सालो बाद उसने एक बड़ी दुकान अपने पास के शहर में खोली और बाद में आगे बढ़ते हुए उसने कई और भी शहरों में व्यापार बढ़ाया । उनके माता-पिता को भी बहुत अच्छा लगने लगा क्योंकि अब उनके संघर्ष करने के दिन खतम हों गए थे और उनके तिनों बेटे ऊंचाइयों की ओर जा रहे है तिनों बेटों ने अपने व्यापार को बहुत आगे तक बढ़ाया और वह तिनों बहुत सफल व्यापारी हैं और वे कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं |
इस कहानी से यह पता चलता है की जिम्मेदारियों के साथ अपने परिवार की व्यवस्था देख वह निरंतन मेहनत करता गया और आखिर में सफलता हासिल कर लिया l
हर किसी को सफलता हासिल करने के लिए एक लक्ष्य और उसके साथ प्रेरणा की जरूरत होती है जो की लोगों के आसपास हो होती है । बस फर्क इतना है के लोगों को उसे ढूंढना और समझना चाहिए l
लिखित:- सिम्मी सोनी (Sem ll )

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