गलगोटिया विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय चैरिटेबल ब्लड सेंटर, नोएडा और स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, एनएसएस और लॉइन्स-क्लब भवानी मेरठ के तत्वाधान में एक दिवसीय रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. के. मल्लिकार्जुन बाबू, संजय कुमार त्रिपाठी अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वस्थ्य संगठन और परथोन-इंडियन रेड क्रोस सोसायटी, तरूण खुराना अध्यक्ष लाइनस क्लब, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. मुनीष सभरवाल (डीन, स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग), चेयरपर्सन विपिन कुमार शर्मा, प्रो. सुभाषशनी डीन एसओएन, प्रो. ए. राम पांडे डीन और विभागाध्यक्ष जनसंचार विभाग तथा एनसीसी, एनएसएस समन्वयक डा० अरविंद कुमार एनएसएस, एनसीसी, कार्यक्रम अधिकारी, डाॅ. सुमित सिंह डाड। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी, कपिल राजपूत एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी, डा० अजय शंकर एससीएसई ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष संजय कुमार त्रिपाठी ने बताया किया कि लोगों के द्वारा रक्त दान करने से दिल की सेहत में सुधार, दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। खून में आयरन की ज्यादा मात्रा दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है। नियमित रूप से रक्तदान करने से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित हो जाती है। जो दिल की सेहत के लिए अच्छी है। उन्होंने बताया कि कई बार मरीजों के शरीर में खून की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि उन्हें किसी और व्यक्ति से ब्लड लेने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसी ही आपातकालीन स्थिति में खून की आपूर्ति के लिए लोगों को रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए। इससे जरुरत मंद लोगों की मदद हो सकेगी।
गलगोटिया विश्वविद्यालय के सीईओ ध्रुव गलगोटिया ने रक्तदान शिविर के आयोजन पर कहा कि हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कितनी मासूमों की जिंदगी को बचाता है। रक्तदान जीवन का आधार है। इस बात का एहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहा होता है, उस समय उनके लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते कई लोगों को देखा जा सकता है। इसलिए किसी को जीवन देने के लिए रक्तदान करते रहना चाहिए।
गलगोटिया विश्वविद्याल के कुलपति प्रो. के. मल्लिकार्जुन बाबू ने कहा कि रक्तदान कर आप किसी के जीवन को बचा सकते है। रक्तदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है। हर स्वस्थ व्यक्ति को तीन माह बाद एक बार रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान करने से किस भी प्रकार की कोई हानि नहीं होती है। रक्त किसी भी प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता है एक व्यक्ति ही दूसरे व्यक्ति को रक्त देकर ही जान बचा सकता है। उन्होंने छात्रों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया। ताकि वह जरूरतमंद की मदद कर सके।
प्रो. मुनीष सभरवाल ने कहा कि रक्तदान महादान है, उन्होंने बताया कि जब उनके पिता को रक्त की जरूरत थी तब कहीं से रक्त नहीं मिला। उनके द्वारा पूर्व में किए गए रक्तदान के कूपनों से उन्होंने अपने पिता की जान बचाई। इसलिए समय-समय पर सभी को रक्तदान करना चाहिए। दान किए गए रक्त से कई लोगों की जिंदगी बच सकती है। प्रो. ए.राम पांडे ने कहा कि कुछ लोग रक्तदान करने से डरते है, निःसंकोच रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान महादान इसलिए है कि अपने शरीर का अंश, जब आप किसी को देते हैं तो वो भी जान बचाने के लिए, तभी इसको महादान का दर्जा दिया जाता है। डा० पांडे ने सभी रक्तदाताओं की भूरी-भूरी जप्रशंसा की।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन की तरफ से सभी रक्तदाताओं को फल, जूस, केक, प्रमाण पत्र के साथ-साथ स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। इस अवसर पर गलगोटिया विश्वविद्यालय के छात्रों व शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर रक्तदान में हिस्सा लिया। सायं तक चले रक्तदान शिविर में 251 यूनिट रक्तदान हुआ। डाॅक्टरों की टीम में डाॅ. प्रियंका गोयल, डाॅ. पुनीत श्रीवास्तव, डाॅ. प्रफुल चंद्र ने नेतृत्व में जांच प्ररीक्षण किया गया। रक्तदान शिविर में प्रो. एस.पी.एस. चैहान, प्रो. सजीव कुमार प्रसाद, प्रो. अमिल गोयल, डाॅ. गजेन्द्र प्रताप सिंह, गरिमा पांडे, डाॅ. आलोक कटियार, प्रो. शिवकुमार वर्मा तथा एनएसएस समाजसेवियों में आर्यन त्यागी, अभिषेक कुमार, उत्कर्ष राज, शम्स तबरेज आलम, बालाजी, दिपाशु कुमार, प्रज्वल प्रकाश, वजाहत एहमद, स्कूल आॅफ नर्सिंग से रूची, मुगेश, मोनू, रोहित, कुनाल, मोहित, पुरोषत्तम, फरहान, पूजा, सुषमिता, गालिब, साबिर, मयंक, कुनाल, काजल, विपिन आदि उपस्थित


