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लड़की का जब जन्म हुआ,हो गये सभी कंगाल,

थाली आँगन ना बजी,बँटा न लडडू थाल |

भाई को माँ दे रही,खाना नित पुचकार,

लड़की जितना खा रही,उतना ही फटकार |

भाई इंग्लिश सीख ले,लड़की कपड़े फींच,

घर से बाहर जाय जब,सर पर पल्लू खींच |

बेटा कॉलेज जा,अभी लड़की जा ससुराल,

बन्ना संग अब आना,छठे छमाही साल |

बत्तीस तोले तागड़ी,तीस का कण्ठी हार,

बेटे के बहुरिया पर,माँ ने दीनी बार |

बेटा गया विदेश को,बीत गये बारह साल,

खाट पकड़ लिए बाबा ने,माँ का न पूछो हाल |

बेटा आया ना कभी,काम पड़ा था बीस,

खाली घर में माँ रो रही,हाथ पर रखे सीस |

लड़की तब से कर रही,माँ बाबा का देखभाल,

फिर भी माँ बाबा न पूछते,कैसा है तेरा ससुराल |

माँ बाबा को जल्दी थी बस,बेटी के ब्याह जाने का,

ससुराल में सब कैसे थे,उन्हें नहीं जानने का |

लड़की माँ बाबा को दिखे,खड़ी हुई थी पास,

बेटा-बेटा कर रहे दोनो,छूट चले जब सांस |

लड़की अब तो जान ले,न माँ बाबा न देश,

मायका-मायका जो जप करे,हर सावन सन्देश ||

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