अजब दौर की गजब है कहानी,
आज आ गया बुढ़ापा कल थी जवानी,
हर इंसान की जिंदगी की यही है कहानी!
जिंदगी भर जिसे जरूरत ना हो किसी की,
वो टाँगे अब सहारा लगी है मांगने,
ऐसा दृश्य हर किसी के जिंदगी में है आनी,
हर किसी के दिमाग से बाते हैं फ़िसल जानी,
मनोबल नहीं रहती अब पहले की तरह,
दो–चार कदम चलने से लगा हूँ थकने,
अब पहले की तरह नहीं होती मनमानी,
हर इंसान की जिंदगी की यही है कहानी!
अब तो आँखों से तस्वीर दिखने लगी है धुँधली,
कानो से ऊँचा लगा हूँ सुनने,
कुछ ही दिन की अब तो बची हैं साँसे,
एक एक सांस को खींच के है लेनी,
कभी हमारा भी समय था मित्रों के संग घूमना,
लेकिन अब बस उनकी यादें हैं पिरोनी,
उन्हीं यादों के संग यारी है निभानी,
गलतियां अपनी ढलती उम्र के साथ लगा हूँ अब गिनने,
माफ़ी माँग नही सका तो पछतावा ही है होना,
शरीर हो गये हैं दुर्बल तो मन भी यही चाहता,
सारे अपने करीब रहे जब तक सांस है बाकी,
अब चंद ही घंटे बाकी है मेरे जिंदगी के अफ़साने की,
फिर सब याद रखेंगे मुझे देखकर मेरी निशानी,
फिर बीत जायेगा मेरा बुढ़ापा भी जैसे बीत गयी थी जवानी,
अजब दौर की गजब है कहानी,
हर इंसान की जिंदगी की यही है कहानी!!