Day: 15 October 2020
सौरभ सिंह बहुत रह लिए धरती पर हम इंसान,अब पूरे ब्रह्मांड में छाना चाहते...
एक दिन आया संशय मन के भीतर, कौन है मित्र मनुष्य जीवन के अंदर, धन है मानव का मित्र? जिसके लिए बिगड़ा मनुष्य का चरित्र, धन के लिए ही मनुष्य मर रहा, धन के लिए ही जीवन में पाप कर रहा, चोरी करके अपने घर में है धन भरता, धन के लिए ही दूसरों का जीवन है नष्ट करता, धन नहीं हो सकता मनुष्य का मित्र, क्योंकि बिगाड़ा है इसने ही मनुष्य का चरित्र | तो मनुष्य का मित्र है विज्ञान? विज्ञान के लिए ही मनुष्य तो कितना है महान, विज्ञान ही तो मनुष्य की उन्नति का है कारण,...
अजब दौर की गजब है कहानी, आज आ गया बुढ़ापा कल थी जवानी, हर इंसान की जिंदगी की यही है कहानी! जिंदगी भर जिसे जरूरत ना हो किसी की, वो टाँगे अब सहारा लगी है मांगने, ऐसा दृश्य हर किसी के जिंदगी में है आनी, हर किसी के दिमाग से बाते हैं फ़िसल जानी, मनोबल नहीं रहती अब पहले की तरह, दो–चार कदम चलने से लगा हूँ थकने, अब पहले की तरह नहीं होती मनमानी, हर इंसान की जिंदगी की यही है कहानी! अब तो आँखों से तस्वीर दिखने लगी है धुँधली, कानो से ऊँचा लगा हूँ सुनने, कुछ ही दिन की अब तो बची हैं साँसे,...
सौरभ सिंह कैसे जिए यहाँ पता नहीं कैसा आ गया है समय,डर लगता है...
( जैसा की मैंने जिक्र किया था कि मुझे चाय पर लिखना बेहद पसंद...
सरकार की तरफ से शिक्षा को लेकर करोड़ों का बजट पास होता है, शिक्षा...
It excites me every time whenever I hear about Sundarbans, as the name throws...
वायु प्रदूषण ये मुद्दा भी देश हर के मुद्दे की तरह ही है जिसपे...