मेंहूँ प्रिया और आज में आपको अपने जीवन के एक अनुभव के बारे में बताने जा रही हूँ। मेरा नाम प्रिया है। मैं और मेरा परिवार मेरठ शहर में रहते थे। मैं कॉलेज की सनातक प्रथम वर्ष की मीडिया की छात्रा थी। अपने सपनो के साथ मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ रही थी की आगे कुछ बन पाऊ। मेरे माता पिता मुझे बहुत सहयोग करते थे। एक दिन अचानक हमने देखा की हमारे कॉलोनी के एक घर में बहुत लोग जमा थे, हमसब भी ये जानना चाहते थे की वहां क्या हुआ है ,क्यूंकि जिस घर में भीड़ जमा थी वो मेरी ही सहपाठी अनीता का घर था तो फ़िक्र और भी बढ़ गयी की आखिर क्या हुआ ? मेरे पिताजी भी जानने के लिए उसके घर गए थे। जब वो वहां से वापस आये तो बताया अनीता कॉलेज से घर नहीं पहुंची है और रात हो चली थी इसलिए उसके घर वालों ने पुलिस की मदद ली। फिर कुछ ही देर में पुलिस आई और सभी से पूछताछ करने लगी और पुलिस को खबर हुई की अनीता कॉलेज पोह्ची ही नहीं थी। पुलिस ने मुझसे भी पूछा तो मैंने भी उन्हें यही बताया की वो आज कॉलेज नहीं आयी थी। फिर दूसरे दिन अनीता हालत में आई। उसके घर वाले उससे पूछने लगे की वो कहाँ थी पूरी रात और क्या हुआ था उसके साथ। यहाँ तक की आसपास के लोग भी आकर पूछने लगे की क्या हुआ लेकिन उस वक़्त उसने कुछ ना कहा। घरवालों के बार बार पूछने पे उसने बताया की वो जब कॉलेज के लिए जा रही थी तो रास्ते में कुछ लोगों ने उसे अगवा कर लिया था। आसपास रास्ता सुनसान होने के कारण उसकी मदद की आवाज़ किसी ने भी नहीं सुनी। पहचान पूछने पर उसने बताया की वो उसी के कॉलेज के कुछ छात्र थे। उन छात्रों ने मिलकर उसके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की। सुबह किसी तरह उनसे खुद को बचा कर वो भाग निकली। पुलिस को जब इन सब बातों का पता चला तो पहले उन्होंने उन लड़को की पहचान पूछी और बाद पता चला की उनमे से जो लीडर था वो एक बिज़नेस मेन का बेटा है। और वे पुलिस के जरिये इस अपराध को दबाना चाहते थे। पर अनीता के इन्साफ के लिए उसके घर वाले हर संभव कोशिश करने में लगे थे। फिर अनीता के पिता और मेरे पिताजी ने सोचा की अब मीडिया ही उनकी मदद कर सकती है।मैं भी मीडिया की छात्रा रह चुकी हूँ और तब मैंने भी कई लोगों से बात किया और मदद मांगी। उनमे से एक ने हमे मीडिया चैनल के संस्थापक से मिलवाया, उन्होंने ने हमे इन्साफ का भरोसा दिलाया और हमारी मदद की। और इस अपराध को उन्होंने मीडिया के माध्यम से दिखाया और गुनेगार को भी सबके सामने लाया। धीरे धीरे ये मामला और भी गंभीर हुआ और हर न्यूज़ चैनल में इसे दिखाया जाने लगा। हर तरफ लोग अनीता के इन्साफ के लिए आगे बढ़कर बोलने लगे। फिर इस मामले में उच्चस्तरीय जांच टीम को बुलवाया गया और जांच शुरू किया गया। उसके बाद जो गुनेगार थे उनके ऊपर कार्रवाई हुई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। आम लोगो के अंदर आक्रोश था की कबतक ऐसे गंदे काम होते रहेंगे, क्यूंकि हर दिन कहीं न कहीं की ऐसी ख़बरें मिलती रहती है। इस मामले में दोषियों को कोर्ट में सजा सुनाई गयी और कहा ऐसे मानसिकता वाले लोगो को छोरा नहीं जायेगा और कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी ताकि आगे न ऐसा कोई गुनाह हो न कोई गुनेहगार। साथ ही साथ अनीता के घर वालो ने मीडिया को उनके अच्छे काम के लिए बहुत धन्यवाद दिया।

इस मामले में हमे मीडिया की अच्छे और उनकी ताकत का अंदाजा होता है की वो चाहे तो अपराधी और अपराधी को सबके सामने ला सकता है। उनके पास वो ताकत होती है की वो हर लड़ाई लड़ सकता है इन्साफ के लिए और समाज के अच्छे काम में उनका भागीदार भी बन सकता है। मैं बहुत खुश हूँ की मैं भी एक पत्रकार हूँ।