आज मैं आपको एक कहानी सुनाने जा रही हूँ जो हर एक लड़की के लिए उसके जीवन जीने का नजरिया बदल देगा। यह कहानी एक लड़की की है जो अपने गाँव में रहती है। वो इस कहानी में अपने और दुसरे लड़कियों की इच्छाओं को सामने रखती है।

एक लड़की जो गाँव में रहती है जिसकी इच्छा है की वो भी पढ़े, कुछ कर सके अपने जीवन में और अपने परिवार का नाम रोशन करे और उन्हें एक अच्छी जिंदगी दे। पर आज समाज में लड़कियों की (ज्यादातर गांव में) ये इच्छा पूरी नहीं हो पाती है। इस कहानी में जो लड़की है वो एक दिन बातें सोच कर परेशान हो रही थी और उसने फैसला किया की वो एक NGO को पत्र लिखेगी जिसके बारे में उसने बहुत सुना था। उस पत्र में उसने कुछ ऐसी बातें लिखी जिसमे उसके मन में बसे इच्छाएं और समाज के लिए सवाल थे।उस लड़की ने पत्र में लिखा था ” छोटी थी तबसे सोचती थी की दुनिया में मुझे लाया ही क्यों गया, मेरी जरुरत ही क्या है, कुछ बच्चे जन्म के बाद सपने देखते हैं और कुछ अन्याय सहते हैं। क्या मुझे खेलने का सौक नहीं था? मेरा बचपन क्यों औरों लोगों की तरह नहीं था? पढ़ने की चाह तो हमें भी होती है, पर क्यों हमारा बाल विवाह करा दिया जाता है? लड़कियों और लड़कों के बीच यहाँ इतनी भेद-भाव क्यों? सब कहते हैं लड़कियां पराया धन है,लेकिन ऐसा क्यों कहते है? क्या लड़कियां समाज में आगे नहीं बढ़ सकती? क्यों हम परिवार का सहारा नहीं बन सकते? ये सब हम लड़कियों के साथ ही क्यों? चुप रहो और सहो! ऐसा क्यों है हमारे साथ” फिर उसने ये पत्र NGO वालों को भेज दिया जो लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद करते थे। इस पत्र को NGO की चालक जिनका नाम आशा था, जिसे सारे लोग आशा दीदी के नाम से पुकारते थे वो उस लड़की से मिलने उसके गांव गई। वहां आस-पास के लोगों को देखा,उनसे बातें की और उनकी दक्कतों को जानने की कोशिश की। इससे उनको समझ आया की यहाँ के लोगों को सुविधाओं की कमी है और ये अभी भी पुराने विचारों वाले मानसिकता के लोग हैं। फिर वो उस लड़की के घर गयी वो वहां उस लड़की से मिली जिसने उन्हें पत्र लिखा था जिसकी उम्र सिर्फ 15 साल थी और वो उसे देखकर दंग रह गयी क्यूंकि वह एक विधवा थी । उन्होंने उसके परिवार वालों को बहुत समझाया लेकिन वो नहीं समझे।आखिर में उन्होंने ये फैसला किया की वो उसे अपने साथ ले जायेंगे। वो उस लड़की को अपने साथ लेकर अपने NGO लेकर चली गई।उन्होंने उसे अपनाया, पढ़ाया, समाज बढ़ने के लिए रास्ता दिखाया और उसे ये भी बताया की तुम्हे आगे अपने जैसे लड़कियों की मदद करनी है और उन्हें आगे बढ़ना है। फिर उस लड़की ने अपनी पूरी मेहनत से अपने आप को जीवन में आत्मनिर्भर बनाया और साथ में अपने जैसी कई लड़कियों की आगे बढ़ने में मदद की। इस कहानी के माध्यम से पता चलता है की लड़कियों को लेकर जो मानसिकता है समाज के अंदर उसे बदलने की जरुरत है। आज के समये में काफी हद तक ये सोच बदल चूका है पर आज भी बहुत ऐसे जगह ऐसे गांव है जहाँ बदलाव की जरुरत है। आज कई ऐसे जगह है जहाँ लड़कियां लड़कों से आगे निकल चुकी हैं। पर कई जगह ऐसे भी हैं जहाँ लड़कियों के साथ गलत होता हो। आज हमसब को मिलकर इस सोच को बदलना है की समाज में सभी को बराबर समझा जाये और एक अच्छे सोच के साथ दुनिया को आगे बढ़ाये।